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Sex Is Physical or Emotional? सेक्स की चाहत इतनी हावी क्यों हो जाती है?

सेक्स : जिस जैविक प्रक्रिया को आप सेक्स कह रहे हैं, वह बुनियादी रूप से बच्चे पैदा करने की प्रक्रिया है। मैं आपको बताना चाहता हूं कि पुरुषों और महिलाओं के बीच अगर कोई सेक्सुअल आकर्षण नहीं होता तो पुरुषों ने दुनिया की सभी औरतों को मार दिया होता।
शारीरिक रूप से पुरुष महिलाओं से ज्यादा ताकतवर हैं। जो भी चीज उनसे कमजोर है, वे उसे नष्ट कर देते है महिलाओं के साथ भी यही होता। चूंकि महिलाओं की उन्हें जरूरत है, इसलिए महिलाओं का आज अस्तित्व है। एक ही प्रजाति के दो लिंगों के बीच यह जरूरत, जीवित रहने की प्रक्रिया के लिए ठीक है।
सेक्स की चाहत इतनी हावी क्यों हो जाती है?
लेकिन अगर आप महज जीवित रहने से आगे की सोच रहे हैं तो यह कभी काफी नहीं होगी। जो लोग इस प्रक्रिया में हैं, बिना भावनाओं की साज-सज्जा के वे भी इस काम को नहीं करना चाहेंगे। दुर्भाग्य की बात है कि पश्चिमी देशों में अगर आप *स्लिशनशिप’ शब्द बोलते हैं, तो समझा जाता है कि यह सेक्स पर आधारित रिश्ता ही होगा।
ऐसा इसलिए है, क्योंकि अपने शरीर के साथ आपकी पहचान बेहद मजबूत है। जैसे जैसे आप अपने शरीर के साथ अपनी पहचान को ज्यादा मजबूत नाते जाते हैं, वैसे वैसे सेक्स और सेक्सुअलिटी ज्यादा महत्वपूर्ण होते जाते हैं। जैसे जैसे आप अपने शरीर के साथ अपनी पहचान को कम करते जाते हैं, आप देखेंगे कि सेक्स कहीं पीछे छूटने लगता है।
आप अपने आसपास देखिए। अगर कोई ऐसा इंसान है जो बौद्धिक रूप से बेहद सक्रिय है, तो वह अपनी पहचान अपनी बुद्धि से ही बना लेता है। आप पाएंगे ऐसे लोगों में सेक्स कहीं पीछे छूटने लगता है। आप जिस चीज के साथ भी अपनी पहचान स्थापित करते हैं, उसी के जरिये बाकी चीजें काम करती हैं। ऐसे में किसी भी सेक्स आधारित संबंध में अगर किसी दिन आप पाते हैं कि सामने वाले शख्स में भावनाएं ही नहीं हैं, सब कुछ शारीरिक स्तर पर चल रहा है तो आपको ऐसा लगने लगता है कि वह आपका इस्तेमाल कर रहा है।
हालांकि यह सेक्स है, यह शारीरिक है, लेकिन बिना भावनाओं की साज-सज्जा के आपको इसमें मजा नहीं आएगा। आपको यह बुरा महसूस होगा। सेक्स आधारित संबंधों में प्रेम के रूप में जो भी लिया या दिया जा रहा है, वह आपसी फायदे की योजना होती है। आप मुझे यह दें, मैं आपको वह दूंगा। अगर आपने मुझे यह नहीं दिया तो मैं आपको वह नहीं दूंगा।
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शारीरिक आकर्षण की कहानी
एक दिन शंकरन पिल्लै एक पार्क में गया। वहां एक बेंच पर एक खूबसूरत लड़की बैठी थी। शंकरन उसी बेंच पर बैठ गया। एक मिनट बाद वह उस लड़की की ओर खिसक गया। वह लड़की थोड़ा दूर हट गई। शंकर फिर थोड़ा सा उसकी ओर खिसक गया। लड़की फिर थोड़ा हट गई। इस तरह धीरे-धीरे लड़की बेंच के एक छोर पर पहुंच गई। अब उसके पास दो ही विकल्प थे- या तो उठकर चहां से चली जाती या कुछ और करती। शंकरन थोड़ा और उसकी ओर खिसका।
अबकी बार उसने शंकरन को अपने से दूर धक्का दे दिया। शंकरन ने कुछ मिनट इंतजार किया। शाम का वक्त था। गोधूलि की बेला थी। ऐसा माना जाता है कि उस वक्त अगर किसी को कुछ कहो तो वह आपकी बात मान लेता है।
शंकरन घुटनों के बल झुका और उस लड़की से बोला, ‘आई लव यू। मैं आपको इतना प्रेम करता हूं, जितना मैंने पहले कभी किसी को नहीं किया।’ प्रेम के मामले में महिलाएं हमेशा बुद्ध बन जाती हैं। लड़की का दिल पसरीज गया। बातों बातों में पौने आठ बज गए।
शंकरन उठा और बोला, अब मुझे जाना है।’ लड़की ने कहा – “तुम जा रहे हो ? तुमने तो कहा था कि मुझसे प्रेम करते हो।’ लड़की ने आई लव यू शब्द को पूरी गंभीरता से ले लिया था। शंकरन ने कहा – “नहीं मुझे जाना है। मेरी पत्नी मेरा इंतजार कर रही होगी। आठ बजने वाले हैं और यह हमारे डिनर का समय है।’ तो कहने का मतलब यह है कि ‘आई लव यू’ एक मंत्र है। ‘खुल जा सिमसिम’ जैसा।
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